जब रतन टाटा को पिता ने डांटकर कहा नहीं, पियानों सीखो

रतन टाटा

वो यादें : रतन वॉयलिन सीखना चाहते थे, पिता ने डांटकर कहा नहीं, पियानों सीखो, जानिए रतन टाटा से जुड़े बचपन के किस्से

नई दिल्ली(संदीप कुमार) : भारतीय उद्योगपति एवं टाटा संस के मानद अध्यक्ष रतन टाटा (Ratan Tata) हमारे बीच नहीं है, परंतु वह सैकड़ों ऐसे किस्से और यादें छोड़ गए हैं, जो सदियों तक उनकी यादों को जीवित रखेंगे। कुछ वर्ष पहले रतन टाटा ने एक इंटरव्यू में अपनी अंतरंग जिंदगी से जुड़ी कुछ बातों पर रोशनी डाली, जिन्हें काफी कम लोग जानते हैं। खासतौर पर यह बातें उनके बचपन से जुड़ी हुई हैं। आइये जानते हैं उनकी आपबीती

मां के तलाक के बाद दादी ने संभाला

इस इंटरव्यू में रतन टाटा ने बताया कि “बचपन तो मेरा बहुत अच्छा था। लेकिन जब माता-पिता का तलाक हुआ तो हम भाईयों को बहुत परेशानी उठानी पड़ी। उस ज़माने में तलाक आज की तरह कोई नॉर्मल बात नहीं थी।” उन्होंने बताया था कि माता-पिता के तलाक के बाद उनकी दादी ने उनका बहुत ख्याल रखा। जब उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली थी तब स्कूल के दूसरे बच्चे उनके बारे में तरह-तरह की बातें करते थे। कुछ लड़के छेड़ते थे। तो कुछ उकसाने की कोशिश करते थे। उन बातों पर रतन टाटा को बहुत गुस्सा आता था। लेकिन दादी उस वक्त उन्हें शांत रहने को कहती थी।

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मैं वॉयलिन सीखना चाहता था, पिता कहते पियानो सीखो

दादी कहती थी कि किसी भी कीमत पर अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखनी है। उस इंटरव्यू में रतन टाटा ने पिता संग अपने रिश्तों पर भी बात की थी। रतन टाटा ने बताया था कि मैं वॉयलिन बजाना सीखना चाहता था। पिता कहते थे कि पियानो सीखो। मैं अमेरिका में पढ़ना चाहता था। पिता मुझे ब्रिटेन भेजना चाहते थे। मुझे आर्किटेक्ट बनना था। लेकिन पिता ज़िद करते थे कि मैं इंजीनियर ही बनूं। मगर बाद में दादी की मदद से मैं अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी पढ़ने गया। शुरू में मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया था। लेकिन बाद में मैंने आर्किटेक्चर में डिग्री ली।

अकेलेपन को लेकर बयां किया था दर्द

ये बात दो साल पहले की है, जब रतन ने बुजुर्गों की सेवा के लिए बनाए गए एक स्टार्टअप गुड फेलोज में निवेश की घोषणा की। इस मौके पर उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए अपने अकेलेपन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि कैसा लगता है जब आप बूढ़े हो जाते हैं। आप नहीं जानते अकेले रहना कैसा होता है? जब तक आप अकेल समय बिताने पर मजबूर नहीं होते, तब तक इसका अहसास तक नहीं होता है।

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