नोएडा के किसानों ने हाइपावर कमेटी की रिपोर्ट के बाद प्रमुख सचिव से मिलकर उठाईं अपनी मांगें

हाइपावर कमेटी

नोएडा : नोएडा के किसानों की लंबित मांगों को पूरा करने के लिए बनी हाइपावर कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद जिले में किसानों में हलचलें अचानक तेज हो हो गईं हैं। कमेटी की रिपोर्ट को लेकर किसानों ने नोएडा प्राधिकरण के सेक्टर 6 में स्थित कार्यालय में प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार के साथ बैठक की और अपनी मांगों और समस्याओं से उन्हें अवगत कराया। फिलहाल यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री की टेबल पर है।
दिलाया भरोसा, किसानों के हक में होगा फैसला
किसानों ने मुख्य सचिव से कहा कि 5 प्रतिशत व 10 प्रतिशत प्लॉट आबादी का पूर्ण निस्तारण और 64 प्रतिशत के मुआवजे का सरकार तत्काल समाधान करे। मुख्य सचिव मनोज कुमार ने किसानों की बातों और मांगों को ध्यान से सुना और भरोसा दिलाया कि हाइपावर कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन करके किसानों के हित में ही सरकार फैसला लेगी।
समस्या का तार्किक समाधान नहीं तो फिर आंदोलन
किसान नेता सुखबीर खलीफा ने कहा कि यदि समस्या का उचित एवं तार्किक समाधान नहीं होता है तो किसान रणनीति तैयार करके फिर से आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। बैठक में किसान नेता सुखबीर खलीफा और किसान नेता सुधीर चौहान, सचिन कुमार, अशोक चौहान आदि मौजूद रहे।
हाइपावर कमेटी में यह अफसर थे शामिल
यह रिपोर्ट उप्र राजस्व परिषद केअध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित समित ने तैयार की। इसमें मेरठ मंडल आयुक्त और गौतमबुद्द नगर के जिलाध्यक्ष सदस्य थे। इसे तैयार करने से पहले पांच बार किसानों के साथ बैठक की गई। नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ का सहयोग लिया गया था।

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क्या थीं किसानों की मांगें
-1977 के बाद किसानों को बढ़ी हुई दर से मुआवजा दिया जाए।
-किसानों को दस प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाए।
-आबादी जैसी है वैसी छोड़ी जाए। विनयमितिकरण की सीमा 450 वर्गमीटर से बढ़ाकर 1000 प्रतिवर्ग मीटर की जाए।
-भवनों की ऊंचाई बढ़ाने की अनुमति दी जाए, क्योंकि गांवों के आसपास काफी हाइराइज इमारतें हैं। ऐसे में उनका एरिया लो लेयिंग एरिया में आ गया है।
-पांच प्रतिशत विकसित भूखंड पर व्यावसायिक गतिविधियां चलने की अनुमति दी जाएं।
-गांव के विकास के साथ खेल बजट का प्रावधान किया जाए। गांवों में पुस्तकालय बनाए जाएं।
हाईवापर कमेटी रिपोर्ट में दिए सुझाव
-वर्ष 2011 में जिन गांव के किसानों की आबादी के निस्तारण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई, उन गांवों के किसानों के नाम आज तक खतौनी में दर्ज नहीं किए गए। दो माह में नोएडा में 81 गांव के 3839 किसानों की बैकलीज कर नाम खतौनी में चढ़ाया जाएगा।
-अधिग्रहीत एवं कब्जा प्राप्त भूमि पर अब तक अतिक्रमण दिखाकर जिन 6070 किसानों के पांच प्रतिशत विकसित भूखंड को अधिकारियों ने रोक रखा है, उन्हें दो माह में नोएडा प्राधिकरण को देना होगा।
-आबादी निस्तारण के लिए वयस्क का दायरा 450 वर्गमीटर था, जिसे बढ़ाकर 1000 प्रति वर्गमीटर कर दिया गया।
-किसानों की आबादी चयनित कर पेरीफेरल सड़क के द्वारा आबादी को सुनिश्चित किया जाए। सड़क का निर्माण तीन माह के अंदर किया जाए।
वर्ष 1997 से अब तक सभी किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाए। वर्ष 1997 से 2002 के मध्यम जमीन अधिग्रहण में 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए। पांच प्रतिशत विकसित भूखंड पर व्यवसायिक गतिविधियों का मान्य किया जाए।

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