नशे का काला कारोबार: ग्रेटर नोएडा में अवैध ड्रग फैक्ट्री का भंडाफोड़, तिहाड़ से मेक्सिको तक के संबंध उजागर

ग्रेटर नोएडा

ग्रेटर नोएडा के कासना स्थित औद्योगिक क्षेत्र में इतनी बड़ी अवैध ड्रग फैक्ट्री चल रही थी और स्थानीय पुलिस-प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं थी। जबकि तीन दिन पहले जिले में नशे के खात्म के लिए आपरेशन प्रहार के अंतर्गत 700 स्थानों पर छापे की कारवाई भी की गई। फिर भी इस ड्रग फैक्ट्री की पुलिस को कानों-कान खबर नहीं हुई। इस मामले में तिहाड़ जेल के एक वॉर्डन, मुंबई के केमिस्ट और दिल्ली के कारोबारी समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को एक मैक्सिकन नागरिक की इसी मामले में तलाश है।
एनसीपी ने छापा मारकर किया अवैध फैक्ट्री का खुलासा
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने ग्रेटर नोएडा के कासना स्थित औद्योगिक क्षेत्र में छापा मारकर अवैध ड्रग्स फैक्ट्री का खुलासा किया। मौके से 95 किलोग्राम अवैध ड्रग्स को जब्त किया गया। इस फैक्ट्री को दिल्ली का एक बड़ा बिजनेसमैन, तिहाड़ जेल का एक वॉर्डन और मुंबई का केमिस्ट मिलकर चला रहे थे। ड्रग्स फैक्ट्री में मेथामफ़ेटामाइन नाम का ड्रग्स का निर्माण हो रहा था, मौके से इम्पोर्टेटेड मशीन भी की गई जब्त की गईं। इस मामले में एनसीबी को एक मैक्सिकन नागरिक की तलाश है।
पुलिस के वेरिफिकेशन अभियान की खुली पोल
एनसीबी की इस कार्रवाई ने फिर एक बार ग्रेटर नोएडा पुलिस के वेरिफिकेशन अभियान और सतर्क रहने के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हैरानी की बात है कि दिल्ली पुलिस और एनसीबी की संयुक्त कारवाई का स्थानीय पुलिस को भान तक नहीं हुआ। वैसे, गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट की पुलिस तमाम तरह के लंबे-चौड़े दावे करती रही है। परंतु बड़े मामलों में अक्सर हाथ मलते रह जाती है। इस मामले में भी ठीक ऐसा ही हुआ।

25 अक्टूबर को की गई थी छापेमारी
कासना क्षेत्र में चल रही इस ड्रग्स फैक्ट्री में 25 अक्टूबर को छापेमारी में एसिटोन, सोडियम हाइड्रॉक्साइड, मिथाईलीन क्लोराइड, प्रीमियम ग्रेड इथेनॉल, टोल्यून, लाल फास्फोरस, ईथाइल एसिटेट जैसे केमिकल और आयातित मशीनरी भी बरामद हुई हैं। अधिकारियों के मुताबिक, ग्रेटर नोएडा में पकड़ी गई ड्रग्स फैक्ट्री के तार दुनिया के सबसे खतरनाक पांच मैक्सिकन ड्रग्स गिरोह से जुड़े हुए हैं। यह कारोबारी पहले भी नशीले पदार्थ के केस में पकड़ा जा चुका है। ऐसे में ग्रेटर नोएडा ड्रग्स तस्करों के लिए सेफ जोन बना हुआ है। पूरे देश में हर बार ड्रग्स सप्लाई के तार ग्रेनो से जुड़े मिलते हैं। इसके बावजूद पुलिस ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रही है।ग्रेनो के अलग-अलग सेक्टरों में अब तक 5 ड्रग्स फैक्ट्री पकड़ी जा चुकी हैं। इनमें 60 से अधिक अफ्रीकी मूल के नागरिकों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।

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इसके बावजूद शहर में विदेशी नागरिक यहां के लोगों के साथ मिलकर ड्रग्स फैक्ट्री शुरू कर लेते हैं। इसकी मुख्य वजह है कि शहर में पुलिस का वेरिफिकेशन अभियान समय-समय पर नहीं चलना और बीट चौकी इंचार्ज और थानेदार सतर्क नहीं होना। इसके चलते विदेशी नागरिक शहर में अवैध गतिविधियों में सक्रिय हो रहे हैं।
अब तक के मामले-
2017 में ओमीक्रॉन-2 सेक्टर में ड्रग्स फैक्ट्री पकड़ी गई थी। यहां 20 से अधिक ड्रम केमिकल और ड्रग्स बरामद हुई। 8 विदेशी अरेस्ट किए थे।
2019 में एनसीबी ने ग्रेटर नोएडा के ओमीक्रॉन-1ए से 1818 किलो ड्रग्स की सबसे बड़ी खेप पकड़ी थी। इसमें 3 विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था।
2023 में 16 मई को स्वाट टीम ने थीटा-दो सेक्टर स्थित डिपो मेट्रो स्टेशन के पास 3 मंजिला मकान में चल रही फैक्ट्री का खुलासा कर 300 करोड़ की ड्रग्स बरामद की थी। 10 नाइजीरियाई नागरिक पकड़े गए थे।
2024 के अप्रैल में ओमीक्रॉन-1 में ड्रग्स फैक्टरी पकड़ी गई। पुलिस ने 150 करोड़ रुपये की ड्रग्स के साथ 3 नाइजीरियाई नागरिक पकड़े गए थे।
पुलिस की मिलीभगत आ चुकी है सामने-
ग्रेनो के बीटा-2 और सूरजपुर कोतवाली क्षेत्र में करीब 4 साल तक चली ड्रग्स फैक्ट्री में पुलिस की मिलीभगत और लापरवाही सामने आई है। इस मामले में दोनों कोतवाली क्षेत्र में 2019 से 2023 तक तैनात रहे 18 पुलिसकर्मियों की जांच की गई। एडीसीपी नोएडा ने तत्कालीन थानेदार से लेकर बीट के सिपाही तक की जांच रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर को सौंप दी है। रिपोर्ट में दस पुलिसकर्मी दोषी बताए जा रहे हैं, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्रेटर नोएडा के एडीसीपी अशोक कुमार कासना इंडस्ट्री एरिया में एक फैक्ट्री में एनसीबी के अधिकारियों ने छापेमारी की है। इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी गई।
विदेशी नागरिकों का वेरिफिकेशन अभियान समय-समय पर चलाया जाता है। जिन विदेशी नागरिकों के पासपोर्ट की डेट एक्सपायर हो जाती है उन्हें डिपोर्ट भी किया गया है।

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