नोएडा : प्राधिकरण के अलग-अलग विभागों ने को नक्शे के नियमों के उल्लंघन पर तीन बिल्डर परियोजनाओं के 13 टावरों और अन्य संपत्तियों को सील कर दिया। वहीं, एक बिल्डर परियोजना की सीलिंग की कार्रवाई तकनीकी वजहों से नहीं हो पाई। यहां प्राधिकरण की टीम उच्चाधिकारियों से वार्ता के बाद दोबारा जाएगी।
प्राधिकरण के अधिकारियों के मुताबिक, वर्क सर्किल-9 की टीम ने ग्रुप हाउसिंग भूखंड संख्या जीएच-01ए सेक्टर-168 में निर्माणाधीन स्थल के मुख्य गेट, सात टावरों और निर्माणाधीन क्लब हाउस को सील कर दिया। इसका आवंटन थ्री सी प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को किया गया था। यह परियोजना में ब्लॉसम जेस्ट के नाम से निर्माणाधीन है। इसी तरह से सेक्टर-135 के ग्रुप हाउसिंग भूखंड संख्या जीएच-01 भूखंड पर निर्माणाधीन परियोजना के मुख्य गेट, स्टोर और तीन टावरों को सील किया गया। यहां रिज रेजिडेंसी के नाम से परियोजना के निर्माण का काम चल रहा था। इस जमीन का आवंटन टूडेज होम्स को किया गया है।
वहीं, वर्क सर्किल-8 की टीम ने सेक्टर-110 में ग्रेनाइट गेट प्रोपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित जमीन पर सीलिंग की कार्रवाई की। यहां लोटस पनास परियोजना में निर्माण का काम चल रहा था। यहां प्राधिकरण की टीम ने टावर संख्या-17, 18 और 19 को सील किया। सेक्टर-143 में लॉजिक्स सिटी डेवलपर को आवंटित जमीन पर ब्लॉसम जेस्ट परियोजना पर निर्माण का काम चल रहा है। यहां मौके पर पुलिस बल के साथ वर्क सर्किल-8 की टीम संयुक्त तौर पर सीलिंग की कार्रवाई के लिए पहुंची। मौजूद कर्मचारी ने बिल्डर के वकील से बात कराई। वकील ने प्राधिकरण की टीम को बताया कि इस जमीन का नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में मामला विचाराधीन है। इसके बाद प्राधिकरण की टीम ने जीएम प्लानिंग और मुख्य विधि सलाहकार को मामले से अवगत कराया। बातचीत के बाद तकनीकी वजहों से यहां की सीलिंग टल गई। बताया जा रहा है कि उच्चाधिकारियों से एक बार फिर से वार्ता के बाद यहां दोबारा टीम जाएगी।
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सीलिंग की यह रही वजह
अधिकारियों ने बताया कि प्राधिकरण की ग्रुप हाउसिंग की कई परियोजनाओं में स्वीकृत किए गए नक्शों की वैधता अवधि समाप्त होने के बाद भी निर्माण कार्य किया जा रहा था। यह नोएडा भवन विनियमावली के प्रावधानों के खिलाफ है। यही नहीं यह लीज डीड की शर्तों के भी खिलाफ है। इन मामलों में आवंटी संस्थाओं की ओर से परियोजनाओं को पूरा करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही थी। इस मामले में उन ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं जिनमें निर्माणाधीन अथवा निर्मित टावरों की ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) प्राधिकरण की ओर से जारी नहीं किया गया है। उनमें सीईओ के निर्देशानुसार टावरों की सीलिंग की कार्रवाई की गई।