आज हम महाभारत का एक किस्सा सुनाने जा रहे हैं, जिसमें अर्जुन की मृत्यु पर मां गंगा अत्यंत हंसने लगी थी।

आज हम आपको मां गंगा और अर्जुन के बीच की दुश्मनी के बारे में कहानी सुनाने जा रहे हैं।

महाभारत युद्ध के दौरान, जब पितामह भीष्म कौरवों के सेनापति बने थे, तो उनके मार्गदर्शन से कौरवों की जीत में उन्हें सफलता मिलने लगी।

इसके बाद, श्री कृष्ण ने उन्हें रास्ता बताया, जिसमें शिखंडी का पूर्वजन्म में अंबा के रूप में भीष्म के प्रति दुश्मनी थी।

युद्ध में, अर्जुन ने श्री कृष्ण के सुझाव का पालन करते हुए शिखंडी को भीष्म के सामने ले गए, और भीष्म कन्याओं पर अस्त्र-शास्त्र का प्रयोग नहीं करते करते थे।

भीष्म ने जब शिखंडी को अर्जुन के साथ देखा तो अपने हथियार नीचे कर लिए। इसी मौके का लाभ उठाकर अर्जुन ने भीष्म पर लगातार कई तीरों से वार किया।

कुछ ही समय बाद, भीष्म रथ से गिर गए और बाणों की शैय्या पर लेट गए। इस दृश्य को देखकर, मां गंगा को अत्यंत क्रोध आया।

इस घटना के बाद माँ गंगा ने अर्जुन के बेटे बब्रुवाहन को ऐसा भ्रमित कर दिया था कि उसने अपने ही पिता अर्जुन का सिर काटकर उनका वध कर दिया था।

अर्जुन की मृत्यु के बाद, मां गंगा वहां प्रकट हुईं और अर्जुन की मौत पर जोर-जोर से हंसने लगीं।