महाभारत युद्ध की कहानी लगभग हर कोई जानता है, लेकिन इस महाकाव्य के कुछ ऐसे किस्से भी हैं, जिनके बारे में हर कोई नहीं जनता हैं।
जैसे की भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम युद्ध में क्यों शामिल नहीं हुये, जबकि देश-विदेश से इस युद्ध में कई सेनाएं भाग लेने आयी थी।
क्या उनकी कोई मजबूरी थी या कोई और वजह थी? इस सवाल के भी जवाब ग्रंथ में हैं।
उनके बड़े भाई बलराम ने इस महायुद्ध में कोई भूमिका नहीं निभाई। उन्होंने न तो कौरवों का पक्ष लिया और न ही पांडवों का।
यदि आप धर्म-शास्त्रों में श्रीकृष्ण और बलराम के बारे में अध्ययन करेंगे, तो पाएंगे कि वे दोनों एक ही थे। उनके शरीर अलग थे, अवतार अलग-अलग लिए थे, लेकिन वे कभी भी एक-दूसरे के विपरीत नहीं गए।
जब दुर्योधन बलराम से मिले, तो बलराम ने कहा, "मेरा आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ है। पांडव भी तुम्हारे भाई हैं। युद्ध समाधान नहीं है। जैसे तुम प्रिय हो, वैसे ही पांडव भी हैं।"
बलराम जी ने पांडवों से भी ऐसा कहा और इसके अलावा उन्होंने कहा की मुझे कुरुवंशियों को आपस में लड़ते देखकर अच्छा नहीं लगता. अत: मैं तीर्थ यात्रा पर जा रहा हूं.’